देहरादून, 08 अगस्त। वैदिक ज्योतिष का मूलभूत आधार 12 राशियां, 12 भाव, 27 नक्षत्र और 9 ग्रह होते हैं। ग्रह जातकों के जीवन पर सीधे तौर पर विशेष प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस आकाश मंडल में कुछ खगोलीय पिंड होते हैं जो गति की अवस्था में रहते हैं। ग्रह हमारे सौर मंडल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं और गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दूसरे से निश्चित दूरी पर आपस में संचालित होते हैं। आकाश मंडल में ये ग्रह पृथ्वी पर रहने के वाले सभी तरह के प्राणियों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 9 प्रमुख ग्रहों के बारे में बताया गया है। दो ग्रह राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। ये नौ ग्रह इस प्रकार हैं- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु-केतु। डाक्टर आचार्य सुशांत राज का कहना है कि नवग्रह का अर्थ है नौ ग्रह, जो हिंदू ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण हैं। ये नौ ग्रह हैं: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु. ये नौ ग्रह मानव जीवन को प्रभावित करते हैं और प्रत्येक ग्रह का अपना महत्व और प्रभाव है।
नवग्रह:-
1. सूर्य :- सभी ग्रहों के राजा माने जाते हैं और पिता, आत्मा, मान-सम्मान, यश, कीर्ति और प्रसिद्धि का कारक हैं.
2. चंद्र :- मन, माता, मन की शांति और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
3. मंगल :- शौर्य, पराक्रम, साहस, ऊर्जा और भूमि का प्रतिनिधित्व करते हैं.
4. बुध :- बुद्धि, वाणी, व्यापार और संचार का प्रतिनिधित्व करते हैं.
5. बृहस्पति :- ज्ञान, धर्म, भाग्य, विवाह और संतान का प्रतिनिधित्व करते हैं.
6. शुक्र :- प्रेम, सौंदर्य, विलासिता, कला और सुख का प्रतिनिधित्व करते हैं.
7. शनि :- कर्म, न्याय, धैर्य, अनुशासन और लंबी आयु का प्रतिनिधित्व करते हैं.
8. राहु :- छाया ग्रह माने जाते हैं, जो भ्रम, महत्वाकांक्षा, और अचानक होने वाली घटनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
9. केतु :- छाया ग्रह माने जाते हैं, जो रहस्य, मोक्ष और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं.
नवग्रहों की पूजा और मंत्र जाप से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाया जा सकता है, ऐसा कुछ ज्योतिषीय स्रोतों का कहना है। ज्योतिष गणना में ग्रहों का महत्व
जब किसी जातक का जन्म होता है और तब ही सौरमंडल में ग्रह जिस स्थिति में होते हैं उसी से जन्म कुंडली बनती है। इस जन्म कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के बारे में पता चलता है। इन ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सीधे तौर पर पड़ता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सभी 9 ग्रह कुंडली के 12 भावों के कारक भी होते हैं।
सूर्य- कुंडली के पहले, नवम और दशम के कारक होते हैं।
चंद्रमा- कुंडली के चौथे भाव के कारक होते हैं।
मंगल- कुंडली के तीसरे और छठे भाव के कारक होते हैं।
बुध- कुंडली के चौथे और दशम भाव के कारक होते हैं।
बृहस्पति- कुंडली के द्वितीय, पंचम, नवम, दशम और एकादश भाव के कारक होते हैं।
शुक्र- कुंडली के सप्तम और द्वादश भाव के कारक होते हैं।
शनि- कुंडली के षष्टम, अष्टम और दशम भाव के कारक होते हैं