जैन धर्म में रावण की बुराइयों को समाप्त करने पर बल दिया : आचार्य श्री 108 सौरभ सागर

एस.के.एम. न्यूज सर्विस
देहरादून। धर्मनगरी माजरा में सकल दिगम्बर जैन समाज देहरादून 31वां श्री पुष्प वर्षा योग समिति 2025 एवं श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर माजरा के संयुक्त तत्वावधान में चल रही नवदिवसीय जिनेन्द्र महाअर्चना आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज (संस्कार प्रणेता, ज्ञानयोगी एवं जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणास्रोत) के पावन सान्निध्य में श्रद्धा एवं उत्साहपूर्वक सम्पन्न हो रही है। आज के दिवस पर जिन सहस्त्रनाम विधान का विधि-विधानपूर्वक हवन एवं निष्ठापन सम्पन्न हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने आहुतियां अर्पित कर मंगलकामनाएं व्यक्त कीं। शांति धारा का सौभाग्य डी. के. जैन, अमित जैन एवं सारांश जैन को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर आचार्य सौरभ सागर ने प्रेरक प्रवचन देते हुए कहा कि हिंदू धर्म में दशहरे पर जहां रावण का पुतला दहन किया जाता है, वहीं जैन धर्म में रावण की बुराइयों को समाप्त करने पर बल दिया जाता है। यह पर्व आत्मचिंतन कर आंतरिक बुराइयों एवं दस प्रकार के पापों (जैसे हिंसा, झूठ) पर विजय प्राप्त करने का अवसर है। जैन समाज सांस्कृतिक रूप से दशहरे से जुड़कर सकारात्मक प्रतीकों के माध्यम से इसे मनाता है। रावण दहन के बजाय जैन परिवार रंगोली या गेहूं के आटे से रावण का प्रतीक बनाकर उसे सम्मानपूर्वक स्मरण करते हैं।आज के दिवस पर आचार्य श्री का आहार अनिल जैन रोचीपुरा के यहां सम्पन्न हुआ। आगामी कार्यक्रम मीडिया कोऑर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि आचार्य श्री कल 3 अक्टूबर को गुरु वंदना के पश्चात प्रातः 6:00 बजे विहार करेंगे तथा क्लेमेंटाउन में अमित जैन के यहां प्रवास पर रहेंगे। सांध्यकालीन भक्ति शाम को माजरा मंदिर में संगीतमय गुरुभक्ति एवं महाआरती का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सहभागिता कर भक्ति का आनंद लिया। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।