सचिव ने किया सरस मेले का औपचारिक शुभारम्भ

नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आयोजित सरस मेले का आज औपचारिक शुभारम्भ किया। इस अवसर पर श्री सिंह ने देश के कोने-कोने से आयी हुई दीदियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी मेहनत से सरस आजीविका मेला आज राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका हैI मेले का उद्घाटन करते हुए शैलेश कुमार सिंह ने सरस मेलों को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) दीदियों की आजीविका संवर्धन में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास मंत्रालय एसएचजी दीदियों में से  २ करोड़ लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं और इस दिशा में सरस मेला एक महत्वपूर्ण मंच  प्रदान करता है। दो करोड़ एसएचजी दीदी को लखपति बनाने हेतु मंत्रालय विभिन्न इंटेरवेंसन एसएचजी दीदी को उपलब्ध करा रहा है, उसमें से मार्केटिंग एक अहम रोल अदा करता है। समारोह को सम्बोधित करते हुए ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव चरणजीत सिंह ने सरस मेलों में पिछले २५ सालों में अब तक हुई प्रगति के बारे में बताया। श्री सिंह ने कहा की दीदियाँ अपनी मेहनत से सरस मेलों की सफलता  के नए आयाम स्थापित कर रही हैं एवं देश के बाद विदेशों में भी प्रतिस्पर्धा हेतु तैयार हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय, दीनदयाल अन्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान के सहयोग से ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पाद बेचने के लिए सरस मेलों के माध्यम से मार्केटिंग का प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध करवा रहा है। इस मेले में ग्रामीण कारीगरों को अपने उत्‍पादों को बेचने के लिए मार्केटिंग सुविधा मुहैया कराई जाती है ताकि वे अपना सामान बिना किसी बिचौलिए के सीधे ग्राहकों को बेच सकें। ग्राहकों से सीधा मोल भाव करके न केवल उन्‍हें उनकी रूचि की सीधी जानकारी मिलती है बल्कि उन्‍हें अपनी मेहनत के वाजिब दाम भी मिलते हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान (एन.आई.आर.डी.पी.आर) पिछले 25 वर्षों से सरस मेलों का आयोजन कर रहे हैं, जिससे लाखों ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार के साधन मुहैया हुए हैं और लाखों महिलाओं ने मार्केटिंग के गुण सीखे हैं। इस वर्ष क़रीब 165 स्टाल लगे  हैं, जिसमें 28 राज्यों की स्वयं सहायता समूहों की 330 से ज़्यादा ग्रामीण महिलाएँ भाग ले रही हैं। मेले में भाग लेने वाली दीदियों हेतु इस बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गयी हैI स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं में व्यवसायिक दृष्टिकोण पैदा करने और उनके कौशल को और अधिक व्यवसायिक करने के लिए इस बार 4 कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों को बुला कर मार्केटिंग से जुड़े विषयों पर दीदियों को पारंगत किया जायेगा। इस मेले में विभिन्न राज्यों के उत्पाद जैसे टसर की साड़ियाँ, बाघ प्रिंट, गुजरात की पटोला साड़ियाँ, काँथा की साड़ियाँ, चंदेरी साड़ियाँ, उत्तराखंड व हिमाचल के ऊनी उत्पाद, प्राकृतिक खाद्य उत्पाद, कर्नाटक व तेलंगाना के वूडन उत्पाद, झारखंड के पलाश उत्पाद व प्राकृतिक खाद्य उत्पाद उपलब्ध रहेंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए वचनबद्ध है जिससे ग्रामीण समुदाय, आत्मविश्वासी, जागरूक और साधन संपन्न बन सके। देश के सभी भागों से ग्रामीण कारीगर समुदाय द्वारा हार्दिक इच्छा से इन मेलों में भाग लेना सरस की सफलता की कहानी बयान करती है। प्रगति मैदान के इस अंतराष्ट्रीय व्यापार मेले में सरस आजीविका में पूरे ग्रामीण भारत की झलक देखने को मिलेगी।

 

 

 

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